परिवार और व्यक्तिगत जीवन
ज़ुबीन गर्ग का जन्म 18 नवंबर 1972 को मेघालय के तुरा में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार से आते थे। उनके पिता मोहनि मोहन बर्थाकुर न्यायिक अधिकारी और कवि थे, जबकि उनकी माता इली बर्थाकुर एक प्रख्यात गायिका थीं। परिवार में संगीत और साहित्य की गहरी जड़े थीं, जिसने ज़ुबीन के कला प्रेम को पंख दिए।
ज़ुबीन गर्ग की शादी गरिमा सैकीया गर्ग से हुई थी, और उनके दो बच्चे — सागरिका और सृष्टि — हैं। परिवार के प्रति उनका प्रेम और जिम्मेदारी उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा था।
संपत्ति और समाज सेवा
ज़ुबीन गर्ग एक संपन्न परिवार से थे। असम के गुवाहाटी में उनकी दो मंजिला एक इमारत थी, जिसे उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान देखभाल केंद्र के रूप में उपयोग के लिए दान कर दिया था। यह उनके समाज सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इसके अलावा वे अक्सर बाढ़ राहत कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान देते रहे।
करियर और संगीत
ज़ुबीन गर्ग का संगीत करियर 1992 में शुरू हुआ था। उन्होंने असमिया, हिंदी, बंगला, तमिल, तेलुगु और अन्य 40 से अधिक भाषाओं में गीत गाए। वे 12 से अधिक वाद्ययंत्र बजाने में निपुण थे, जिनमें गिटार, तबला, हारमोनियम, ड्रम, और डोटारा प्रमुख हैं।
उनका संगीत सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह सामाजिक संदेश और असम की सांस्कृतिक पहचान का माध्यम भी था। उन्होंने कई फिल्मों और एल्बमों में अपने गीतों से लोगों का दिल जीता।
कवि और लेखक
ज़ुबीन गर्ग सिर्फ गायक नहीं थे, बल्कि एक कवि और लेखक भी थे। उनकी किताबें “Xur” और “Niyor” काफी लोकप्रिय हुईं। उनकी रचनाओं में असम की जड़ों और सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलती है।
निधन और विरासत
19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में हुए एक स्कूबा डाइविंग हादसे में ज़ुबीन गर्ग का निधन हो गया, जो असम और भारतीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें असम का प्रिय बेटा और रॉकस्टार बताया।
ज़ुबीन गर्ग ने न केवल संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि अपनी सामाजिक गतिविधियों और परिवार के प्रति समर्पण से भी लोगों के दिलों में अपनी छवि दर्ज की। उनकी यादें और संगीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
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