बैंक अधिकारी या रिश्तेदार बनकर बुज़ुर्गों को किया जा रहा है सम्मोहित, गिफ्ट कार्ड और पैसे ट्रांसफर के लिए किया जाता है मजबूर
साइबर अपराध का नया रूप: क्या है ‘डिजिटल हिप्नोटिज़्म’?
डिजिटल हिप्नोटिज़्म (Digital Hypnotism) यानी साइबर सम्मोहन आज के समय में ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक नया और खतरनाक रूप बन गया है। इसमें अपराधी बुज़ुर्गों को मानसिक रूप से इस तरह भ्रमित कर देते हैं कि वे बिना सोच-समझ के बड़ी रकम ट्रांसफर कर देते हैं या गिफ्ट कार्ड जैसी चीजें खरीदने लगते हैं।
कैसे काम करता है यह साइबर जाल?
- स्कैमर खुद को बैंक अधिकारी, टेक्निकल सपोर्ट, या परिवार के सदस्य के रूप में पेश करते हैं।
- पीड़ित को यह विश्वास दिलाया जाता है कि उनके अकाउंट में कोई खतरा है या उनकी सहायता की ज़रूरत है।
- फिर उनसे कहा जाता है कि वे गिफ्ट कार्ड खरीदें या बैंक से पैसे ट्रांसफर करें।
- कॉल, ईमेल या स्क्रीन पर आने वाले पॉप-अप्स का उपयोग करके बुज़ुर्गों को टारगेट किया जाता है।
बुज़ुर्ग क्यों बनते हैं आसान शिकार?
- तकनीकी जानकारी की कमी
- अकेलापन और भावनात्मक समर्थन की ज़रूरत
- स्कैमर्स की आवाज़ और भाषा शैली पर आसानी से भरोसा कर लेना
- मानसिक भ्रम की स्थिति में निर्णय लेने की क्षमता का प्रभावित होना
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
- यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक आघात भी है।
- कई मामलों में पीड़ित को यह महसूस तक नहीं होता कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है।
बचाव के उपाय: बुज़ुर्गों और परिवार के लिए ज़रूरी सुझाव
- किसी भी अनजान कॉल या पॉप-अप पर तुरंत कार्रवाई न करें।
- OTP, पासवर्ड या बैंक की जानकारी कभी साझा न करें।
- परिवार के सदस्यों से किसी भी शंका पर तुरंत संपर्क करें।
- बुज़ुर्गों को डिजिटल सेफ्टी की बुनियादी जानकारी दी जाए।
- ज़रूरत हो तो पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें।
डिजिटल हिप्नोटिज़्म जैसे आधुनिक साइबर हथियार, खासकर बुज़ुर्गों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं। इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए हमें न केवल जागरूक होना होगा, बल्कि अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को भी डिजिटल रूप से सशक्त बनाना होगा।