अब गंदे वॉशरूम और लंबी कतारों की सज़ा भुगतेंगे एयरपोर्ट्स!

अब गंदे वॉशरूम और लंबी कतारों की सज़ा भुगतेंगे एयरपोर्ट्स!

यात्री शुल्क को सेवा गुणवत्ता से जोड़ने की योजना, खराब प्रदर्शन पर कटेगा पैसा

भारत के प्रमुख एयरपोर्ट्स पर जल्द ही सेवा की गुणवत्ता के आधार पर इनाम या सज़ा मिल सकती है। गंदे वॉशरूम, देरी से बैगेज डिलीवरी और चेक-इन, सुरक्षा जांच या इमिग्रेशन पर लंबा इंतज़ार अब एयरपोर्ट्स की कमाई पर असर डाल सकते हैं।

एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AERA) ने प्रस्ताव दिया है कि यात्रियों से वसूला जाने वाला यूज़र डेवलपमेंट फीस (UDF), अब एयरपोर्ट की सेवा गुणवत्ता से जोड़ा जाए।

क्या है प्रस्ताव?

AERA ने पिछले महीने जारी एक ड्राफ्ट कंसल्टेशन पेपर में सुझाव दिया है:

  • खराब सेवा देने वाले एयरपोर्ट्स के UDF में कटौती होगी
  • बेहतर प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहन राशि (Incentives) दी जाएगी
  • इसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर अनुभव और जवाबदेही देना है

किन-किन मापदंडों पर होगा मूल्यांकन?

AERA ने 50 सेवा मानकों (32 वस्तुनिष्ठ + 18 व्यक्तिपरक) को प्रस्तावित किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • चेक-इन, सुरक्षा जांच और इमिग्रेशन में प्रतीक्षा समय
  • वॉशरूम की स्वच्छता
  • बैगेज डिलीवरी की समयबद्धता
  • व्हीलचेयर, ट्रॉली, साइनेज जैसी यात्री सुविधाओं की उपलब्धता
  • एयरपोर्ट का नेविगेशन और यात्री अनुभव

कैसे होगी निगरानी?

  • स्वतंत्र तीसरी पार्टी ऑडिट की सिफारिश, ताकि निष्पक्ष मूल्यांकन हो
  • Digi Yatra और बायोमेट्रिक एंट्री जैसी तकनीकों से वास्तविक समय निगरानी
  • ऑन-साइट मैनुअल चेक और यात्रियों की फीडबैक आधारित सर्वेक्षण

भविष्य के लिए तैयार फ्रेमवर्क

AERA का कहना है कि यह फ्रेमवर्क “फ्यूचर-रेडी” होगा:

  • सेल्फ-बैगेज ड्रॉप, इमिग्रेशन ई-गेट्स, और फेशियल रिकग्निशन बोर्डिंग जैसी तकनीकों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा
  • यह सिर्फ चमकदार टर्मिनल्स नहीं, बल्कि यात्रियों के लिए असली लाभ लाने पर केंद्रित है
  • AERA का लक्ष्य है कि आगे चलकर पूरा सिस्टम ऑटोमेटेड और रियल-टाइम हो जाए

यात्रियों के अधिकारों की रक्षा

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने AERA को जनता से सुझाव मांगने का निर्देश दिया है
  • 9 सितंबर को हितधारकों के साथ बैठक और 24 सितंबर तक लिखित फीडबैक देने की आखिरी तारीख
  • नियमों को अंतिम रूप देने के बाद, इसे AERA अधिनियम के तहत कानूनी रूप दिया जाएगा

“जब संरचना का खर्च यात्रियों से वसूले गए शुल्क से पूरा होता है, तो सेवा का स्तर भी उसी के अनुरूप होना चाहिए,” — AERA ड्राफ्ट पेपर

क्यों है यह ज़रूरी?

  • भारत में हवाई यात्रा का विस्तार तेजी से हो रहा है
  • यात्रियों की उम्मीदें अब सिर्फ उड़ान तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण एयरपोर्ट अनुभव पर टिकी हैं
  • Digi Yatra और अन्य तकनीकों के बावजूद, कई एयरपोर्ट्स सेवा गुणवत्ता में पीछे हैं
  • नया नियम सेवा को कानूनी दायित्व बना देगा

अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ, तो भारत में एयरपोर्ट संचालन का तरीका पूरी तरह बदल सकता है।
अब सिर्फ बड़े टर्मिनल या आधुनिक उपकरण नहीं, बल्कि स्वच्छता, सुविधा और समय की पाबंदी ही तय करेगी कि एयरपोर्ट को इनाम मिलेगा या सज़ा