दुर्गा पूजा 2025: दुर्गा अष्टमी कब है? तारीख, समय, पूजा विधि और परंपराएँ

दुर्गा पूजा 2025: दुर्गा अष्टमी कब है? तारीख, समय, पूजा विधि और परंपराएँ

30 सितंबर को महाअष्टमी का उत्सव, पुष्पांजलि, कुमारी पूजा, संधि पूजा और बंगाली परंपराओं के साथ।

दुर्गा पूजा, बंगाल का सबसे भव्य त्योहार, करीब है और दुर्गा अष्टमी 2025 30 सितंबर को मनाई जाएगी। महाअष्टमी को त्योहार का सबसे शुभ दिन माना जाता है, और इस दिन elaborate पूजा, पारंपरिक भेंट और रंग-बिरंगे उत्सव पूरे पश्चिम बंगाल और अन्य स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं।

दुर्गा अष्टमी 2025: तारीख और समय

  • तिथि प्रारंभ: 29 सितंबर 2025, 12:21 बजे
  • तिथि समाप्ति: 30 सितंबर 2025, 2:02 बजे

महाअष्टमी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इस साल के तिथि समय के अनुसार भक्त सुबह जल्दी पूजा करते हैं।

महाअष्टमी के रीतिरिवाज और परंपराएँ

1. पुष्पांजलि

भक्त माँ दुर्गा को पुष्प अर्पित करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। यह पूजा प्रायः सुबह जल्दी की जाती है ताकि आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त हो सके।

2. कुमारी पूजा

छोटे बच्चों को माँ दुर्गा का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। बंगाली घरों में यह पूजा भक्ति और भव्यता के साथ संपन्न होती है।

3. संधि पूजा

दुर्गा पूजा की सबसे महत्वपूर्ण रीतियों में से एक संधि पूजा है। यह अष्टमी से नवमी में संक्रमण के समय की जाती है। इसे महाअष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और महानवमी तिथि के पहले 24 मिनट में किया जाता है। इसे माँ दुर्गा की बुराई पर जीत के पावन क्षण के रूप में माना जाता है।

त्योहार के रीति-रिवाज और भोजन

  • जबकि दुर्गा पूजा में मछली और मांस आमतौर पर खाया जाता है, कई बंगाली घरों में दुर्गा अष्टमी पर शाकाहारी भोजन ही पकाया जाता है
  • इस दिन पारंपरिक व्यंजन बिना चावल के बनाए जाते हैं।
  • भक्त पारंपरिक पोशाक पहनते हैं: महिलाएँ साड़ी और पुरुष कुर्ता-पायजामा या पंजाबी सूट पहनते हैं, पंडालों का दौरा करते हैं और सामुदायिक उत्सवों में भाग लेते हैं।

महाअष्टमी की महिमा

दुर्गा अष्टमी भक्ति, परंपरा और पारिवारिक मिलन का दिन है। ढाक की ताल और नए रंग-बिरंगे साड़ियों के उत्सव के साथ यह दिन खुशियों, आध्यात्म और सांस्कृतिक गर्व से भरा होता है।