रिपोर्ट: कैसे नितिन गडकरी के बेटों की कंपनी से बना इथेनॉल आपकी गाड़ी को कर रहा है बर्बाद

रिपोर्ट: कैसे नितिन गडकरी के बेटों की कंपनी से बना इथेनॉल आपकी गाड़ी को कर रहा है बर्बाद

सरकार के इथेनॉल मिशन से गाड़ियाँ हो रही हैं खराब, वाहन मालिक परेशान — और इस बीच सामने आया गडकरी परिवार की कंपनी का बड़ा कनेक्शन।

भारत में सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की योजना को ग्रीन एनर्जी की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताया है। लेकिन इस नीतिगत फैसले के पीछे क्या कोई छिपा हुआ आर्थिक लाभ है? और क्या इसके चलते आम जनता की गाड़ियाँ ही बर्बाद हो रही हैं? इन सवालों के केंद्र में हैं — केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटों की इथेनॉल कंपनियाँ

इथेनॉल मिशन: मकसद और सच्चाई

सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल (E20) मिलाने का लक्ष्य रखा था, जिसे पहले ही कई शहरों में लागू कर दिया गया है।
सरकार का दावा है कि:

  • इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा,
  • किसानों को फायदा मिलेगा,
  • तेल आयात पर निर्भरता घटेगी।

पर सवाल यह है: क्या ये बदलाव जनता के हित में है या किसी खास उद्योग समूह के?

वाहन मालिकों की चिंता: गाड़ियाँ हो रही हैं खराब

देशभर में हज़ारों वाहन मालिक शिकायत कर रहे हैं कि ई20 पेट्रोल के कारण उन्हें इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:

  • माइलेज में भारी गिरावट (10% से 20% तक)
  • इंजन में खराबी, खासकर स्टार्टिंग में
  • फ्यूल सिस्टम में जंग और लीकेज
  • थ्रॉटल रिस्पॉन्स कमजोर, यानि पिकअप की दिक्कत

पुरानी गाड़ियों (2023 से पहले बनीं) में ये दिक्कतें ज्यादा देखने को मिल रही हैं क्योंकि वो तकनीकी रूप से E20 के अनुकूल नहीं हैं।

उद्योग और परिवार का रिश्ता: गडकरी परिवार का कनेक्शन

इथेनॉल से जुड़े सबसे बड़े विवाद का केंद्र बना है गडकरी परिवार
रिपोर्ट्स के अनुसार:

  • नितिन गडकरी के बेटे निखिल गडकरी की कंपनी Cian Agro Industries इथेनॉल उत्पादन करती है।
  • दूसरे बेटे सरंग गडकरी भी Manas Agro Industries से जुड़े हैं, जो इथेनॉल क्षेत्र में सक्रिय है।

इन दोनों कंपनियों ने बीते वर्षों में तेजी से मुनाफा कमाया, और इथेनॉल नीति के लागू होते ही इनके कारोबार को बढ़ावा मिला।

सवाल उठते हैं:

  • क्या नीति को आगे बढ़ाते समय हितों का टकराव हुआ?
  • क्या गडकरी परिवार को इसका अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिल रहा है?
  • और अगर ऐसा है, तो क्या जनता के हित से बड़ा हो गया है निजी व्यापार?

सरकार का पक्ष

सरकारी एजेंसियाँ दावा करती हैं कि:

  • इथेनॉल पेट्रोल पूरी तरह सुरक्षित है
  • वाहन माइलेज में मामूली गिरावट सामान्य बात है
  • सभी नई गाड़ियाँ E20 के अनुकूल हैं

लेकिन ये दावे जमीनी सच्चाई से मेल नहीं खाते। वाहन मालिकों की बढ़ती शिकायतें, सर्विस सेंटर में लंबी कतारें और असंतोष सरकार के दावों पर सवाल खड़े करते हैं।

वाहन मालिकों के लिए चेतावनी

अगर आपकी गाड़ी 2023 से पहले की है, तो आपको ये बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

  1. ई20 पेट्रोल न भरवाएँ अगर आपकी गाड़ी इसके अनुकूल नहीं है।
  2. फ्यूल सिस्टम की जाँच नियमित कराएँ।
  3. इंजन ट्यूनिंग और फिल्टर बदलवाना ज़रूरी हो सकता है।
  4. गाड़ी के मैनुअल या डीलर से पुष्टि करें कि ई20 को सपोर्ट करती है या नहीं।

निष्कर्ष

इथेनॉल मिलाने की नीति को भले ही “हरित पहल” कहा जा रहा है, लेकिन इससे यदि जनता की गाड़ियाँ खराब हों, और नीति निर्माता के परिवार को व्यावसायिक लाभ मिले — तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि:

“ये नीति वाकई देशहित में है, या सिर्फ कुछ लोगों के लिए अवसर?”

पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी सचाई के बिना ऐसी नीतियाँ लोगों का भरोसा तोड़ सकती हैं