कहीं आप पर तो नहीं पूर्वजों का श्राप? कथावाचक ने बताए पितृदोष के 4 बड़े लक्षण

कहीं आप पर तो नहीं पूर्वजों का श्राप? कथावाचक ने बताए पितृदोष के 4 बड़े लक्षण

पंडित प्रदीप मिश्रा ने पितृ पक्ष के मौके पर बताया—अगर घर में दिखें ये संकेत, तो समझिए पूर्वज नाराज़ हैं और पितृदोष के कारण जीवन में बाधाएं आ रही हैं।

पितृदोष के चार प्रमुख लक्षण

प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार, ये चार लक्षण पितृदोष की ओर इशारा करते हैं — यानी पूर्वजों की नाराजगी के कारण जीवन में बाधाएँ आ रही हैं:

  1. आर्थिक असंतुलन
    • यदि आपकी आमदनी के बावजूद खर्च सलामत नहीं रहता — जैसे आप एक रुपये कमाते हैं और सौ रुपए खर्च हो जाते हैं — तो यह पितृदोष का संकेत हो सकता है।
  2. लगातार बीमारियाँ
    • घर में कोई एक व्यक्ति ठीक होता है तो दूसरा बीमार पड़ जाता है। बीमारियाँ स्कूल-स्कूल बना रहना या ठीक से चिकित्सा के बावजूद बरकरार रहना, पितृदोष का लक्षण हो सकता है।
  3. पूजा-पात्र गिरना
    • पूजा थाली सजाते समय अचानक थाली हाथ से गिर जाए या खाने-पीने का पात्र गिर जाए — यह अपूर्णता और अशांति की ओर इशारा करता है।
  4. परिवार में कलह
    • घर में तनाव, झगड़े या अशांति का माहौल होना — यह भी पितृदोष के प्रभाव का स्पष्ट संकेत होता है।

इन संकेतों को हल्के में न लें!

ये लक्षण सांसारिक हों सकते हैं, लेकिन जिन घरों में ये बारी-बारी से नजर आते हों, उनसे पितृदोष की संभावना बढ़ जाती है। समय रहते उपाय करने से समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

पितृदोष से बचने के सरल उपाय

पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार, निम्न उपाय अवश्य करें, विशेष रूप से पितृ पक्ष और अमावस्या के अवसर पर:

  • तर्पण और श्राद्ध करें — विधिपूर्वक पितरों को जल, तिल, अन्न अर्पित करें।
  • दान और पिंडदान करें — भोजन, वस्त्र, और अन्य सामग्री का दान करें।
  • ब्राह्मणों का पूजन और सम्मान करें — उनका सत्कार करने से शुभ फल मिलते हैं।

पितृदोष को नज़रअंदाज़ करना कई बार जीवन में बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। अगर आपके जीवन में बार-बार अड़चनें, असफलताएं या मानसिक अशांति हो रही है, तो पितृदोष के संकेतों को समझना और समय पर धार्मिक उपाय करना बेहद जरूरी है। पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को तर्पण, दान और श्राद्ध से संतुष्ट करें, ताकि उनका आशीर्वाद बना रहे और जीवन में सुख-शांति आए।

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