पितृ पक्ष में द्वितीया तिथि का विशेष महत्व और पूजा विधि
पितृ पक्ष 2025 का द्वितीया श्राद्ध 9 सितंबर, मंगलवार को किया जाएगा। यह तिथि विशेष रूप से उन पितरों के लिए होती है जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि को हुई हो। इस दिन तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितृ पक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां
| तिथि | दिन | श्राद्ध का नाम |
|---|---|---|
| 7 सितंबर | रविवार | पूर्णिमा श्राद्ध |
| 8 सितंबर | सोमवार | प्रतिपदा श्राद्ध |
| 9 सितंबर | मंगलवार | द्वितीया श्राद्ध |
| 10 सितंबर | बुधवार | तृतीया श्राद्ध |
| 11 सितंबर | गुरुवार | चतुर्थी श्राद्ध |
| 12 सितंबर | शुक्रवार | पंचमी श्राद्ध |
| 13 सितंबर | शनिवार | महाभरणी श्राद्ध |
| 14 सितंबर | रविवार | षष्ठी श्राद्ध |
| 15 सितंबर | सोमवार | सप्तमी श्राद्ध |
| 16 सितंबर | मंगलवार | अष्टमी श्राद्ध |
| 17 सितंबर | बुधवार | नवमी श्राद्ध |
| 18 सितंबर | गुरुवार | दशमी श्राद्ध |
| 19 सितंबर | शुक्रवार | एकादशी श्राद्ध |
| 20 सितंबर | शनिवार | द्वादशी श्राद्ध |
| 21 सितंबर | रविवार | सर्वपितृ अमावस्या |
द्वितीया श्राद्ध की विधि और नियम
- समय: दोपहर का समय श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
- विधि: पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोजन से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करें।
- नियम: इस दिन विशेष रूप से द्वितीया तिथि को हुई मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध करें।
- सामग्री: तिल, जल, कुशा, पिंड, तर्पण सामग्री और ब्राह्मण भोजन का आयोजन करें।
पितृ पक्ष का समय पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का होता है। द्वितीया तिथि का श्राद्ध विशेष रूप से उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि को हुई हो। इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।