सितंबर 2025 में एक साथ लगेंगे सूर्य और चंद्र ग्रहण, जानें क्या भारत में मान्य होगा सूतक काल या नहीं

सितंबर 2025 में एक साथ लगेंगे सूर्य और चंद्र ग्रहण, जानें क्या भारत में मान्य होगा सूतक काल या नहीं

सितंबर 2025 में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों एक साथ लगेंगे। इस बार का ग्रहण ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खास बात यह है कि यह दोनों ग्रहण इतने करीब होंगे कि लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में सूतक काल को इस दौरान मान्यता दी जाएगी या नहीं। आइए जानते हैं इस ग्रहण और सूतक काल के बारे में पूरी जानकारी।

सूतक काल एक ऐसा समय माना जाता है जब ग्रहण लगने से पहले और बाद में धार्मिक अनुष्ठान, विवाह, शुभ कार्य आदि टाल दिए जाते हैं। यह काल ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक के बीच का होता है और कई स्थानों पर इसका पालन किया जाता है। सूतक काल का धार्मिक महत्व अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हो सकता है।

सितंबर 2025 के ग्रहण की खास बातें

  • इस बार 2025 के सितंबर में सूर्य और चंद्र ग्रहण क्रमशः 17 और 31 सितंबर को लगने वाले हैं।
  • ये दोनों ग्रहण बहुत करीब होंगे और कुछ स्थानों पर साथ-साथ नजर आएंगे।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज की किरणें पूरी तरह से बाधित हो जाती हैं, जबकि चंद्र ग्रहण के दौरान चाँद पृथ्वी की छाया में आता है

क्या होगा सूतक काल का नियम?

  • ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि जब सूर्य और चंद्र ग्रहण इतने नजदीक लगें तो सूतक काल भी दोगुना प्रभावी हो सकता है।
  • भारत के कई राज्यों में सूतक काल का पालन धार्मिक परंपराओं के अनुसार किया जाता है, लेकिन इस बार के ग्रहण के कारण सूतक काल को लेकर विवाद और चर्चा बढ़ी है।
  • कुछ धार्मिक विद्वान कहते हैं कि ग्रहण के दौरान सभी शुभ कार्यों को टालना चाहिए जबकि कुछ का मानना है कि सूतक काल की अवधि इस बार सीमित हो सकती है।

ग्रहण के दौरान क्या रखें ध्यान में?

  • ग्रहण काल में घर के अंदर रहना और धार्मिक अनुष्ठान करना शुभ माना जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
  • ग्रहण के समय नाश्ते-खाने में सावधानी बरतें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद शुद्धिकरण और स्नान आदि का विधान किया जाता है।

सितंबर 2025 के सूर्य और चंद्र ग्रहण का संयोजन धार्मिक, ज्योतिषीय और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सूतक काल के नियम इस बार कुछ क्षेत्रों में अलग तरीके से लागू हो सकते हैं, इसलिए स्थानीय धार्मिक मान्यताओं और पंडितों की सलाह अवश्य लें। ग्रहण के दौरान सावधानी और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना शुभ फलदायक होगा।

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