घर में वास्तु दोष मिटाने के लिए वास्तु कलश स्थापना: जानिए इसका सही तरीका और महत्व

घर में वास्तु दोष मिटाने के लिए वास्तु कलश स्थापना: जानिए इसका सही तरीका और महत्व

वास्तु शास्त्र में वास्तु कलश का विशेष स्थान, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा होती है दूर और बढ़ती है सकारात्मकता

वास्तु कलश का महत्व क्या है?

भारत में घर और भवन निर्माण के साथ वास्तु शास्त्र का गहरा संबंध है। माना जाता है कि घर की ऊर्जा और सुख-समृद्धि वास्तु दोषों से प्रभावित होती है। ऐसे दोषों को दूर करने के लिए सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है वास्तु कलश स्थापना

  • वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, वास्तु कलश घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में स्थापित करना सबसे लाभकारी होता है।
  • मिट्टी या धातु (सोना, चांदी, तांबा, पीतल) का कलश हो, वह पूर्णतः अखंड होना चाहिए।

वास्तु कलश स्थापना की विधि

  1. कलश में गंगाजल और शुद्ध जल भरा जाता है।
  2. अंदर सुपारी, हल्दी की गांठ, सिक्के, पीली कौड़ियां, और कोई रत्न रखा जाता है।
  3. कलश के मुंह पर मौली बांधी जाती है।
  4. आम के पत्ते सजाकर ऊपर नारियल रखा जाता है, जिसपर भी कलावा बांधा जाता है।
  5. स्थापना स्थल पर सूखे चावल या गेहूं की परत बिछाई जाती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • वास्तु कलश को केवल धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
  • इसे स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है, मानसिक तनाव कम होता है और नकारात्मक शक्तियां कमज़ोर पड़ती हैं।
  • श्री यंत्र के साथ स्थापना से यह प्रभाव और भी अधिक होता है।

आधुनिक समाज में वास्तु कलश की भूमिका

  • फ्लैट्स और अपार्टमेंट में भी वास्तु दोष दूर करने के लिए कलश स्थापना आसान और कारगर उपाय है।
  • बड़े स्तर के वास्तु सुधार न हो पाने पर भी यह छोटे उपाय सकारात्मक परिणाम देते हैं।

विशेषज्ञों की राय

  • वास्तु कलश मनोवैज्ञानिक रूप से भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • श्रद्धा और विश्वास के साथ स्थापना करने से घर में शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।

अगर आप अपने घर से वास्तु दोष हटाना चाहते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाना चाहते हैं, तो वास्तु कलश स्थापना एक सरल, प्रभावी और पुरानी परंपरा है जिसे आप आसानी से अपना सकते हैं।

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