ईशान कोण सिर्फ एक दिशा नहीं, बल्कि आपके घर में लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की कृपा का द्वार है
भारतीय वास्तुशास्त्र में हर दिशा का अपना महत्व है, लेकिन उत्तर-पूर्व का कोना यानी ईशान कोण सबसे खास माना जाता है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवेश द्वार कहा जाता है जो आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। यदि यह हिस्सा साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा जाए, तो नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
ईशान कोण क्या है? कैसे पहचानें?
- उत्तर और पूर्व दिशा के बीच का त्रिकोणीय क्षेत्र
- इसे कंपास से आसानी से पहचाना जा सकता है
- मोबाइल एप्स में डिजिटल कंपास का इस्तेमाल भी करें
ईशान कोण का आध्यात्मिक और वास्तुशास्त्रीय महत्व
- यह दिशा भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश और सूर्य का निवास मानी जाती है
- पूजा, ध्यान और योग के लिए सर्वोत्तम स्थान
- जीवन में ज्ञान, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की वृद्धि
ईशान कोण में क्या न करें?
- शौचालय या बाथरूम न बनाएं
- कूड़ा, जूते-चप्पल, टूटी-फूटी चीजें न रखें
- भारी फर्नीचर या गोदाम न बनाएं
ईशान कोण में क्या करें?
- मंदिर या पूजाघर बनाएं
- देवताओं की मूर्तियाँ उत्तर या पूर्व की ओर मुख करें
- रोज सफाई, धूप और कपूर जलाएं
- गंगा जल का छिड़काव करें
- हल्के रंग जैसे सफेद, पीला या आसमानी रंगों का इस्तेमाल करें
- प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन रखें
ईशान कोण दोष के नुकसान
- मानसिक तनाव और अस्थिरता
- दांपत्य जीवन में कलह
- आर्थिक हानि और ऋण
- बच्चों की पढ़ाई में बाधा
- घर में रोग, दुर्घटना और विवाद
ईशान कोण दोष का सरल समाधान
- पिरामिड यंत्र, पवित्र शंख या पंचधातु श्री यंत्र लगाएं
- नियमित गंगा जल छिड़काव करें
- इस दिशा को हमेशा साफ, हल्का और रोशन रखें
- अगर शौचालय हटाना संभव न हो, तो उपरोक्त उपाय अपनाएं
अपने घर के इस खास कोने को स्वच्छ और पवित्र बनाएं और हर दिन सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें। वास्तु के अनुसार ईशान कोण में सुख-शांति और समृद्धि की बरसात होती है।
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